Saturday, June 18, 2011

याद आई है !

बहुत दिन हुए इधर पधारे की आप शायद भूल भी गए होंगे !
पर कोई नहीं जान है तो जहान है, वापस से याद आ जावेंगे !
फिर से राम राम :)

जब से ये फेसबुक का जमाना आया है वापस से ब्लोगिंग को थोड़ी सी दिक्कत हुई है, चूँकि कई प्रसिद्द स्तंभकार आजकाल केवल फेसबुक पे देखे जाते हैं !
वैसे उनका सपना अपना स्वार्थ साधने का है !
वास्तविक स्तंभकार अभी भी अपने ब्लोग्स से जुड़े हुए है जिनकी झलकी मैं समय समय पे लेता रहता हूँ !
बहुत से लोग बाग तो खुद को ट्रेडमार्क मानने लगे हैं ...
खैर उनके अपने लफड़े हैं ... अपने को क्या !

राजस्थान की तपती गरमी ने बहुत झुलसाया है या कहो तो तपाया है और तपना ही जिंदगी है !
जित्ता जल्दी तप लो उत्ता बढ़िया !
अब मानसून की आस जगी है.. आराम सा आने वाला है !
मौसम विभाग से अच्छी भविष्यवाणी तो गांव के ताऊ कर लेते हैं ..
अगर कभी मौसम विभाग ने कहा की भयंकर बारिश आएगी तो तेज धुप निश्चित है :)

किसानों के हाल हमेशा की भांति बेकार रहे हैं, पिछले दिनों गांव गया तब एक काका जी इस साल हुए घाटे का हिसाब लगा रहे थे :(
बदन जलाऊ गरमी में रीजने के सौ रुपये नहीं मिल पाते एक दिन में ... ठंडी ए सी में धीमे धीमे बोलने वाले शाहब लोग कुछ हजार ले जाते हैं घंटों की कुर्सीतोड़ी से ...
क्या योजना बन रहीं हैं अपने लिए वो तो भगवन जाने पर भरोसा इसी बात पे है की -
'इंसान भूखा जगता है पर जहाँ तक संभव हो कुछ खा, पीके ही सोता है '.... सो चिल्ल मारो !!

राम राम