Tuesday, May 18, 2010

ठेकेदार ...... अजी हम नहीं हैं !!

राम राम सा ...

पिछली वाली पोस्ट पर आपके घणे कमेंट्स मिले और उनके ही कारण मुझमे ये पोस्ट लिखने की हिम्मत बापरी है !!
कुछ लोग कहते हैं की "सुनो सब की और करो अपने मन की", भई मैं तो सबकी सुनता हूँ और उसी के हिसाब से ही करता हूँ  सो कृपया अपने विचार जरूर रखें ...
लास्ट की पोस्ट कबूल है में श्रीमान सारस्वत जी और सुर्यपाल जी* ने सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने के बारे में बताया था ..
तो श्रीमान जी आपकी बात तो बहुत ही बढ़िया है और हमें इस पर चर्चा करनी ही चाहिए पर क्या अपनी ये चर्चा कुछ महत्व रखती है ??
मुझे तो लगता है की अपने इस समाज में इन मुद्दों के बारे में चर्चा करने, प्लान बनाने और उन्हें लागू करने करने के लिए पहले से ही 'ठेकेदार' बैठे हैं !
बैठे क्या हैं उन्होंने इन तरह के सभी पद रोक रखे हैं की अपन जैसे लोगो के पास देखने के सिवा शायद ही कुछ बचा है...
छोटी से छोटी परेशानी के लिए बड़ा से बड़ा पैनल बनाया जाता है, बहुत से मंथन होते हैं, नक़्शे बनते हैं, जोड़-तोड़ होता है, भरपूर पैसा आता है और अंत में वो परेशानी कितनीक मिटती है वो आपसे छुपा हुआ नहीं है..
कुल मिलाके इन मुद्दों के बारे में घणी सारी "चर्चाएँ" चल रही हैं तो अपन लोगों को चिंता की जरुरत नहीं है !
पर हाँ अपने पास फिर भी कुछ बातें हैं जो अपन कर भी सकते हैं और करनी भी चाहिए ..
अभी भी कुछ गंभीर सामाजिक परेशानियाँ हैं जो इन ठेकेदारों की नजर से दूर हैं पर वे काफी घातक हैं ..
वैसे मेरी इस पोस्ट को शायद सौ से भी कम लोग पढेंगे पर अगर पांच भी साथी इस पर विचार करेंगे तो मैं अपनी इस पोस्ट को लिखने में बिताये वक़्त को सफल मानूंगा !

इस वर्तमान समय की सबसे घातक वाली परेशानी है "मोबाइल" और लगभग हर आदमी इसकी चपेट में है..
कुछ साथी सोच रहे होंगे की यार ये भी कोई परेशानी है क्या, ये तो बढ़िया चीज है जो सेकंड्स में हजारों मील दूर बैठे आदमी से बात करवा देती है, गाने भी सुनाती है, फोटू भी खींचे जा सकते हैं और नहीं तो कम से कम एक महंगा वाला मोबाइल खरीदकर 'चोक' तो मार ही सकते हैं !
हाँ ये फायदे तो मैं भी मानता हूँ पर दस साल पहले के उस वक़्त को याद कीजिये जब आप चैन की नींद लिया करते थे, अब तो कोई भी आधी रात को टन-टनाट करवा देता है.
तब तो घर से निकलने के बाद बस फ्री.. घरवाले बेसिक फोन पे कहते की 'अजी वो तो अभी अभी तो घर से निकल गये हैं शाम को आते ही बोल देंगे' और तब भी सभी काम हुआ करते थे !
झूठ का सबसे बड़ा कारोबार भी इसी से हो रहा है ... पहले कम से कम घर बैठे ये तो नहीं कह सकते थे ना की जयपुर आया हुआ हूँ ...
अब तो घर में आदमियों से ज्यादा मोबाइल होने लगे हैं, SIM तो थोक के भाव मिल रही हैं, एक बंदा हमारे हॉस्टल के बाहर बैठा रहता है उसे बस एक फोटो और ID चाहिए और आपको वो फटाफट से एक मुफ्त वाली SIM दे देगा जिसमे बीस रुपये अलग से मिलेंगे... गजब है !
लगता है थोड़े दिन बाद जेबतराशों की जगह जेबभराश हुआ करेंगे जो चुपके से आपकी जेब में सिम डालकर खिसक लेंगे :)
मेरा एक साथी कुछ महीने पहले कोई दस SIM लाया और पता चला की उनमे पहले से ही खूब रुपये भरे हुए हैं, वो दिन में पता नहीं कितनी बार उनको बारी बारी से निकालने और घालने में ही लगा रहता !
एक दिन मैं दूकान पे मोबाइल रिफिल करवाने गया तो वहां एक ताऊ भी अपने वाले को करवा रहा था..
ताऊ दुकान वाले को बोला "भाया महाली भैंस न भी घाली" ...
मैंने सोचा यार ये क्या लफड़ा है सो मैंने ताऊ से तुरंत इस बाबत पूछा (वैसे मेरी ताउओं से बढ़िया बनती है) तब ताऊ ने बताया की "आ मोबाइल इयांकी भैंस है जकी न तो दूध देवे अर न ही पोठो(गोबर), बस खाय ही खाय है" !!
बहुत से दस साल से छोटे बच्चों के पास भी खुद के मोबाइल हैं अब ये आप ही बताइए की वो इसका क्या करते हैं..
मेरे ताऊ जी का पोता, जो की इतना छोटा है की अभी स्कूल जाना भी चालु नहीं किया है, एक दिन ताऊ जी को आके बोलता है की "दादा जी इने(कुछ था शायद कोई फोटो) डिलीट करके देओ" ... ताऊ जी ने कहा बेटा दादा तो खुद डिलीट हुआ बैठा है किसी और से ही करवा !!

स्कूल में पढने वाले बच्चों के पास बढ़िया वाले मोबाइल होते हैं( सिम्पल वाला तो उनके पापा रखते हैं) और इनके मुख्य उपयोग हैं - चटपटे SMS आदान-प्रदान, अश्लील MMS एवं क्लिप्स का ब्लूटूथ से प्रसार !!
अब बहुत ही कम उम्र में उनसे ये छिपा हुआ नहीं है की इन कपड़ों के पीछे क्या है और बाकी सब कुछ कैसे क्या होता है !
पर अभी हम इनके भविष्य में आने वाले घातक प्रभावों से अनभिज्ञ हैं..
और उनके होने वाले मानसिक विघटन का पता चलना बहुत मुश्किल है पर ये निश्चित ही उनको पढ़ाई से तो दूर धकेलता जाएगा...
कहा जाता था की बाल मन सबसे शुद्ध और निर्मल होता है पर अब ये शायद इतिहास बनने वाला है..
कह रहे हैं की जमाना मोडर्न हो रहा है,.. पर भई इस तरह का मोडर्न हमें तो नहीं चाहिए ...
बाहर से कितने भी मोडर्न हो लो, चाहे जो खाओ, पहनो, करो पर कम से कम अपने दिल-दिमाग को तो स्वच्छ रखो..
रिश्तों की मर्यादा का भंग होना और बहुत तरह के यौन अपराध इसके मुख्य एवं वर्तमान परिणाम हैं जो अपने सामने हैं...
क्या आप चाहते हैं की कोई अपना प्रिय बालक आगे चलकर ऐसे कृत्यों को अंजाम देवे ..

अजी ये पोस्ट तो कुछ ज्यादा ही लम्बी खिंच गयी मैं तो इसे तुरंत निपटाने वाला था ....पर कोई नहीं !
कुल मिलाके बहुत से पेरेंट्स को तो पता भी नहीं है की उनके नौनिहाल के पास मोबाइल है भी ... वो तो इससे ओल्ले में बहुत कुछ कर रहे हैं !
कईयों का तो पूरी रात-रात भर व्यस्त बताता है पता नहीं नेटवर्क की खराबी से बताता है या कोई और ही लफड़ा चलता है :)

सो जनाब अपने आस पास के माहौल पे नजर रखें ... आपकी एक छोटी सी चूक किसी की पूरी ज़िन्दगी बर्बाद कर सकती है !
अपने खुद के मोबाइल को भी बच्चों की पहुँच रखें ..
It's not explosive or any kind of poison but many time it have many contents that are harmful to ur kins n also for u !!
और आप खुद समझदार हैं .... :)
माहौल गंभीर हो गया जनाब वैसे मामला है भी गंभीर ... चलो आपको एक बात बता दूँ की जब मैं ये पोस्ट लिख रहा हूँ तब मेरे यहाँ एक गाना अनवरत बज रहा है और ये मेरा फेवरेट राजस्थानी गाना है ..
आप भी ये गाना सुनें ताकि माहौल हल्का हो जाए Click here 2 Download !!
और सब बढ़िया है .. और हम कमेंट्स सेक्सन में मिलते रहेंगे ... धन्यवाद जी !!

राम राम सा .. Social Doc जीतू बगड़िया !

                    http://jitubagria.blogspot.com/

:)